वह अपने प्राणों जैसे रखें आपका ख्याल, तो आपके जीवन में दुख मुसीबतों का नहीं रहेगा नामोनिशान।
रात के 3:00 बजे सुभाष झा के कमरे का दरवाजा उसका छोटा बेटा विजय धीरे-धीरे खटखटता है। सुभाष झा समझ जाता है कि उसने मेरे बताने के हिसाब से ही अपनी पत्नी संध्या की हत्या कर दी है।.