रात के 3:00 बजे सुभाष झा के कमरे का दरवाजा उसका छोटा बेटा विजय धीरे-धीरे खटखटता है। सुभाष झा समझ जाता है कि उसने मेरे बताने के हिसाब से ही अपनी पत्नी संध्या की हत्या कर दी है।
पत्नी और बड़े बहू बेटे को पता ना चले इसलिए सुभाष झा अपने कमरे का दरवाजा धीरे से खोल कर अपने छोटे बेटे विजय को अपने कमरे के अंदर बिना शोर-शराबा किए घुसेड़ लेता है।
और अपने बेटे विजय से अपनी पत्नी संध्या की हत्या की पूरी जानकारी लेता है। उसका छोटा बेटा विजय अपने पिता सुभाष झा को बताता है कि "मैंने पहले उसके दूध में दो नींद की गोली डाली और मैंने पहले से ही बाथरूम में कपड़े धोने का पाउडर डालकर बाथरूम पूरी तरह से चिकना कर रखा था, और जब नींद की गोलियां खाने से उसे नींद आने लगी तो बाथरूम में ले जाकर संध्या को ऐसे धक्का दिया कि जिससे कि उसका सर बाथरूम की दीवार से टकराने के बाद सीधे बाथरूम के नल से जाकर लगे।
अपने बेटे की बात सुनने के बाद सुभाष झा बोलता है "बहुत बढ़िया बेटा अब हम करोड़पति बन जाएंगे।"
"अब क्या करना है पिताजी।" विजय पूछता है।
"सब समझाता हूं।" सुभाष झा कहता है।
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